तन्हाइयों का आलम(ग़ज़ल) गाँव की गलियों से ऊंची इमारतों के सफ़र पर चला, सदीद धूप में नर्म पाव लेकर ख़ुद के हुनर पर चला। हर किसी ने मुझें बदलने की कोशिश बहुत की मग़र, ऐतराज़ो की आँच सहकर भी ख़ुद के असर पर चला। वक़्त से सीखा है कि कुछ भी देर तक नही ठहरता, नज़र में खटका जिनके अब उन्ही के नज़र पर चला। सुना था तेज़ तूफानों में बड़े बड़े जहाज़ डूब जाते है, मैं ज़िंदगी के तूफ़ान में भी सर लिए जिगर पर चला। तन्हाइयों का ये आलम अपना सा लगता है 'अंजान', ख़ुद से बेख़बर होकर भी मैं हमेशा ख़बर पर चला। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc19 #yourquote #yqdidi #yqbaba #gazal