चारों सिम्त ख़ामोशी है अँधेरा है बहुत तुमसी तुम्हारी यादों में बरक़त कहाँ है तुम लौ हो जमाल लाल फाहे रोशनी के से माहताब की याद में गुल कहाँ खिला करता है बेहतर है मेरा चाँद! दिल के अँधेरों में मिला करता है तुम आओ न आओ कौन गिला करता है ये है कि गुमनाम चाह जलती है... यों तो बेनाम दिया जलता था साथ ये शाम जला करती है रंग भरती है कितने आँखों या ख़ुद ही रेत भरती चलती है अच्छा है रेत रात में ढल जाए ये दयार का दिया जी भर जले बुझ जाए तो क्या पता चाँद! तू ख़ुद ही उतर आए तो हो अँधेरा ही अँधेरा कि वो अँधेरे में मिला करता है #toyou#tothemoon#theflowers#yqlove#yqhindi