बहुत देख ली दुनियाँ हमने भी माँ, पर तेरे प्यार जैसा कुछ भी नही देखा है। नींद गुजारी मखमली बिस्तर पर, पर तेरी गोदी जैसा बिस्तर नही देखा है।। खाया हमने भी रेस्टोरेंट में खाना, तो ना जाने कहा कहा नेह सैर किया है, पर तेरे कोमल हाथों की रोटी माँ, और तेरे आँचल जैसा छाँव नही देखा है।। मिला हमें स्नेह करने वाला हमसफ़र, तो हर मर्ज़ के लिए दवा भी देख ली, पर नज़र उतार मर्ज़ ठीक करे, व तुझ जैसा लाड़ और दुलार नही देखा है।। 🌷सुप्रभात🌷 🔴 प्रतियोगिता संख्या - 01 ... 🔴 शीर्षक - माँ ... 🔴 सुंदर शब्दों से छ: पंक्तियों में रचना लिखें ...