दिमाग कहता है, निकाल फेक उस शक्स को, जो छोड़ तुझे, किसी और को अपनालिया है ! दिल बड़े नज़ाकत से कहता है, तू खुद भी कहां भुला पाया है उस शक्स को, मैंने तो उसे अपने दिल में पनाह दिया था, जब उसे किसी और ने अपने ज़िंदगी से बेघर किया था ! Yeh dil aur dimaag ki baatein sunke ..... रूह सिसकते हुए कहती है , गुनाह तो मेरा भी नहीं था उस शक्स ने फिर क्यों मुझे इतना अपनापन देकर, किसी दुसरे रुह से इश्क़ कर बैठा ! #इश्क़