दहन केवल दस सिरों वाले रावण के पुतले का नहीं बल्कि अपने भीतर बसी दसों बुराइयों का भी करना होगा, यही दशहरे का सांकेतिक महत्व है। राम और रावण दोनों की नाम राशि एक ही थी, और रावण उच्च कोटि ब्राह्मण था, परन्तु दोनों के कर्मों ने निर्धारित किया की कौन पूजा जाएगा और कौन जलाया जाएगा। आप भी अपने समाज मे पनप रही जाति- पाति, ऊँच- नीच रूपि बुराइयों का इस दशहरे में दहन कर के रामावतार के उद्देश्य को सार्थक कीजिये, और अपने व्यक्तित्व का निर्माण राम जैसा कर के समाज का कल्याण कीजिये। जय श्री राम! ©DrDeepanshu #Dussehra #happydushera