दग़ाबाज़..... कुछ कह रही थी आँखे उसकी, ना आँखे इसकी समज सकी! आहें भर रही थी रुह उसकी, पर घरवालो के सामने वो खुलकर ना कुछ कह सकी! परवरिश चुनी थी उसने, इसीलिए वो इसकी ना हो सकी! जो क़िस्मत संग लायी थी उन्हें,उसी का खेल ना वो समझ सकी; इसीलिए शायद प्यार सच्चा करके भी इसके लिए वो सिर्फ़ "दग़ाबाज़" ही बन सकी! #दगाबाज़ #मानो_या_ना_मानो #सारा_खेल_किस्मत_का #yqbaba #yqdidihindi