हम दोनो रहें दूरियों के मुसाफिर तब जब करीब आए थे ... जब एक दूजे को थामना सीखा था ... तब जब गलतियां कर के मानना सीखा था... जहां कुछ नही चाहते थे पाना... वहां एक दूसरे को अपनाना सीखा था.... दोस्ती करते रहें सबसे बस एक दूसरे से दूरियां साथ होकर तब बनाना सीखा था.... जब दूर होने की बारी आई बस तभी तो एक दूसरे को करीब से जानना सीखा था.... हम दोनो रहें दूरियों के मुसाफिर तब से जब से एक दूसरे की खामोशियों में भी जवाब ढूंढना आया था.... जब एक दूसरे को समझना और दुनिया को कुछ नही समझाना है ये समझना आया था .... तब जब हम दोनो को फर्क पड़ना ही बंद हो चुका था दुनिया की भीड़ का, तब जब हमें बस चिंता थी सिर्फ तो एक दूसरे की खैर का.... तब हम दोनो बने दूरियों के मुसाफिर जब मन के सबसे करीब सिर्फ मैंने उन्हें और शायद उन्होंने भी मुझे पाया था.... या यूं कहूं की हम दोनो रहें दूरियों के मुसाफिर जब साथी हमने एक दूसरे में पाया था.... दूरियों के मुसाफ़िर देखिए फिर कहाँ मिलें... #दूरियोंकेमुसाफ़िर #collab #yqdidi #स्नेह_के_साथी #साथी #seemuneha #mywritingmywords #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi