हुआ अरुणोदय, रक्तप्रकाश लिए, चला रवि पश्चिम को। अंधकार हरता हुआ, राह देखता-दिखाता, खुश, सबको देखता, प्रफुल्लित, चलता रहा। पर ज़ोरों की हवा चली, काली घटाएँ घिर आईं। कुछ नहीं दिखता था अब, बस चहुंओर गहन तिमिर। हो चिंतातुर, सूर्य बैठा उदास, कुछ सूझ नहीं रहा था उसे, नकारात्मक हो चला था। सबकुछ छोड़कर सिर्फ़, घर लौट जाना चाहता था। पर अंतर की आग जल रही थी। लौटने को मन नहीं माना, किया निश्चय डटे रहने का। आखिर तम को धकेल, आ खड़ा हुआ प्रचंड तेज लेकर, चमकता रहा, चमकता रहा।। सूर्य #vks #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #yqgudiya #muktchhand