वक़्त के सीने पर कुछ कदमों के निशाँ हमारे भी छूट जायेंगे, याद रखना तू ओ हमदम जो हम न रहे तो बहुत याद आएंगे। भुलाकर हमको कैसे जीते हो ज़रा बता दो तुम हमें भी, हम भी सब सह लेंगे तेरी तरह यारा पत्थर हो जाएंगे। है अंधेरा तो क्या हुआ एक दिन रोशनी भी नजर आएगी, हम भी पूरी जिंदगी इस झूठी आस में यार गुजार जाएंगे। जिस मोड़ को छोड़कर तू चला गया कभी देंखना मुड़कर, हम जहाँ है उस रोज भी तेरी राह में वही खड़े नजर आएंगे। वादा खिलाफी तुझे मुबारक, ये बेवफ़ाई भी तुझे मुबारक, हम तो वफ़ा में हमेशा जिये हैं और वफ़ा संग मर जायेंगे। है सखी वक़्त अभी ज़रा मुश्किल न घबरा , न चलना रोक, हिम्मत रख, देखना एक रोज ये शूल भी फूल बन जाएंगे। ©सखी #वक़्त #शूल #आस #निशाँ #मोड़