ज़ुबाँ में शीरीं, दिल में अहसास पैदा कर। कोई तेरा बन जाये, किसी का तू हो जाये ऐसा साज़ पैदा कर। अभी घर से निकला है नुकीले रास्तों की परवाह न कर, मंज़िल ख़ुद खिंची चली आये, ऐसा आग़ाज़ पैदा कर। बात अच्छी हो सच्ची हो लाज़िम है कि दो-चार सुनें, पूरी दुनिया मजबूर हो उठे तुझे सुनने के लिए, सीने में ऐसी आवाज़ पैदा कर। मंज़िल ख़ुद खिंची चली आये, ऐसा आग़ाज़ पैदा कर। ~हिलाल हथ'रवी . ©Hilal Hathravi #Saaz #Aawaaz