जहाँ राष्ट्र के गौरव को शर्मिंदा होना पड़ता हो। और स्वयं के न्याय हेतु सड़कों पर सोना पड़ता हो। नेतागण जिनके ऊपर अपनी मनमानी करते हों। और चरित्रहीनता जैसी कारस्तानी करते हों। शासन भी अपराधी के ही खड़ा पक्ष में मौन रहे। ऐसी विषम परिस्थिति में अपनी पीड़ा को कौन कहे। जिनके भुजदंडों ने रोशन सदा देश का नाम किया। और तिरंगे को उन्नत रख गौरवशाली काम किया। ये मिट्टी के लाल स्वयं के खून पसीने के बल पर। छाए रहे सदा दुनियाभर में कुश्ती के दंगल पर। वही आपसे न्याय आज जंतर मंतर पर माँग रहे। सच्ची ही आवाज आपके उर अंतर की माँग रहे। आज समर्थन इनका अपनी नैतिक जिम्मेदारी है। एक कलंकित नर क्या पूरे ही शासन पर भारी है।। ✍️परेशान✍️ ©Jitendra Singh #protestwrestler