थककर अभी लौटा था घर शाम हुई अभी अभी पर माँ की बातों से लगता है जिंदगी की सुबह हुई अभी अभी बैठा एक बुजुर्ग के पास फुर्सत में जो लगा जैसे जिंदगी जीने का मौका है अभी अभी यादें उसकी परेशान इस हद तक करती है लगता है नजरों के सामने से गयी वो अभी अभी तन्हाई मेहसूस नहीं होती आजकल लगता है खुदसे हुईं हैं दोस्ती अभी अभी खयाल खुद का ज्यादा रखने लगा हु मैं तबीयत का अंदाज़ा हुआ है अभी अभी बैठा एक बुजुर्ग के पास फुर्सत में जो लगा जैसे जिंदगी जीने का मौका है अभी अभी #Thirdqoute #Shayari #Zindagi