बहुत सोच समझकर मेरे लिए प्यार लाये हो इसमें प्रेम दिखा नहीं लगता है उधार लाये हो । मैं तेरी मोहब्बत से ही घायल हुआ था प्रिय इतना बता दो अब कौन सा हथियार लाये हो । मैने जिन्दगी गुजारी है कोरे कागज की तरह और तुम कागज काटने को तलवार लाये हो । खूशी पाकर भी मुस्कुराया ना एक क्षण को जिन्दगी तुम सूख भी इस प्रकार लाये हो मुझे जलाने की चाहत कितनी है तुझ में पात्र ना मिला तो अपने हाथों पर अंगार लाये हो ॥ #सेर #गजल