तक़दीर बदल जाती है जब, उसके #जुल्फ़ों से लगके #हवा, मेरे साये से टकराती है... #अधरों पे #मुस्कान लिए, वो #कमल सी खिल जाती है... वो #चाय सी एक #घूंट बनकर, मेरे बाहों के #प्याले में आती है... #तक़दीर का पता नही पर, #माहौल जरूर बदल जाती है... #ashu