ऊपर-ऊपर बाबाजी, पीछे दग़ाबाज़ी करते हो दिल के बाज़ार में, मुहब्बत की सौदेबाज़ी करते हो आहटें तेरी मुझे अब हर जगह महसूस होती हैं आँखों ही आँखों से तुम, निशानेबाज़ी करते हो महवश तेरे दीदार को मुद्दतों से तड़प रहे हैं हम आते ही जाने की क्यों, जल्दबाज़ी करते हो बेरुख़ी ये तेरी मुझसे अब और सही नहीं जाती नाराज़ मेरे दिल को, हर बार राज़ी करते हो शरर मेरे इश्क़ को अभी आग होना है 'सफ़र' शब-ए-वस्ल में क्या ख़ूब, आतिशबाज़ी करते हो ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_196 👉 ऊपर-ऊपर बाबाजी, भीतर दग़ाबाज़ी लोकोक्ति का अर्थ --- इंसान का बाहर से अच्छा दिखना, भीतर से बुरा होना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।