अहबाब हो मेरे तुम जीवन के, मेहर-ओ-माह बनाने से डर लगता है। इख्तिलात चाहता है जिंदगी भर की दिल,इसीलिए मोहब्बत छुपाता है। चाहते हैं तुम्हें दिल-ओ-जान से, अपना बनाने से डर लगता है। इजहार- ए- मोहब्बत करके तुमसे, तुम्हें खोने का डर लगता है। 🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I