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एक ग़ज़ल हर वक़्त चल रही है नई चाल ज़िंदगी। बदहाल आदम

एक ग़ज़ल

हर वक़्त चल रही है नई चाल ज़िंदगी।
बदहाल आदमी की ये बदहाल ज़िंदगी।

हासिल है मुहब्बत का फ़क़त हिज्र ही अगर-
सो मैंने कह दिया इसे जंजाल ज़िंदगी।

पहले तो मेरी नींद मेरे ख़्वाब मेरे थे-
दिल लुट गया सो हो गयी कंगाल ज़िंदगी।

कुछ को मिली ख़ुशी तो कोई ग़मज़दा भी है-
बढ़ती है रँग बदल के यूँ हर साल ज़िंदगी।

बस मौत ही मिलेगी तुझे तेरे इश्क़ में-
बुनती है रोज़-रोज़ नये जाल ज़िंदगी।

प्रशान्त मिश्रा मन #NojotoQuote #ज़िंदगी
एक ग़ज़ल

हर वक़्त चल रही है नई चाल ज़िंदगी।
बदहाल आदमी की ये बदहाल ज़िंदगी।

हासिल है मुहब्बत का फ़क़त हिज्र ही अगर-
सो मैंने कह दिया इसे जंजाल ज़िंदगी।

पहले तो मेरी नींद मेरे ख़्वाब मेरे थे-
दिल लुट गया सो हो गयी कंगाल ज़िंदगी।

कुछ को मिली ख़ुशी तो कोई ग़मज़दा भी है-
बढ़ती है रँग बदल के यूँ हर साल ज़िंदगी।

बस मौत ही मिलेगी तुझे तेरे इश्क़ में-
बुनती है रोज़-रोज़ नये जाल ज़िंदगी।

प्रशान्त मिश्रा मन #NojotoQuote #ज़िंदगी