तुसी करके अमृत वर्षा सी शिव दी चढ़ी हुई जेहर उतारी वो शेषनाग दा जहर फेला,बिच, समुंदर सारे उस जहर नो पीकेतड़पे शिव बिच समुंदर किनारे प्रभु जी ने गुटदेके अमृत दा शिवदी चढ़ी हुई जहर उतारी जय वाल्मीकि