ये जिंदगी किसी तन्हा शाम सी गुजर रही है बैचेन रात की आंधी में उदासी सिहर रही है सन्नाटे में डूबा है शहर और अरमान शोर का है बुंदेला अकेला खड़ा है बस इंतजार भोर का है #बुंदेला की कलम से