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हिरण्यकश्यप ने हिरण्याक्ष की मृत्यु का प्रतिशोध



हिरण्यकश्यप ने हिरण्याक्ष की मृत्यु का प्रतिशोध लेने को अजेय होने का संकल्प लिया।
सहस्त्रों वर्षों तक कठोर तप करके ब्रह्मा जी से अजय होने का वरदान हासिल किया। 

वरदान पाकर स्वर्ग पर अधिकार कर स्वयं को संपूर्ण लोकों का अधिपति घोषित किया।
खुद को अमर अजय जानकर धरती पर अत्याचार बढ़ाया और हाहाकार मचाया।

उसे ना कोई घर में, ना बाहर, न अस्त्र से, न शास्त्र से, न दिन में, ना रात में, 
न मनुष्य से, ना पशु से, न धरती में, न आकाश में कोई मार सकता था।

पुत्र प्रहलाद की भक्ति से भयभीत होकर उसे मृत्युलोक पहुंचाने का प्रयास किया।
भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा के लिए खंभे को फाड़कर नरसिंह अवतार लिया।

नरसिंह ना पशु थे, ना मानव, चौखट पर अपने नाखूनों से उसका सीन फाड़ दिया।
क्रोधित नरसिंह भगवान का क्रोध शांत करने का सभी लोगों ने बहुत प्रयास किया।

ब्रह्मा ने विष्णु, विष्णु ने शंकर जी से नरसिंह भगवान का क्रोध शांत करने का आग्रह किया।
भगवान शिव ने विकराल ऋषभ का रूप धर नरसिंह को पूछ में लपेट पाताल ले गए।

जब शक्तिहीन होकर नरसिंह भगवान ने ऋषभ रूप में शिव को पहचाना तब क्रोध शांत हुआ।
ब्रह्मा जी और विष्णु जी के आग्रह पर ऋषभ स्वरूप भगवान शंकर ने उन्हें मुक्त किया।
-"Ek Soch"   #9avatarofvishnu #narsimhavatar #krishna #yqbaba #yqdidi #yqquotes #myquote

Topic: Narsimha Avatar

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हिरण्यकश्यप ने हिरण्याक्ष की मृत्यु का प्रतिशोध लेने को अजेय होने का संकल्प लिया।
सहस्त्रों वर्षों तक कठोर तप करके ब्रह्मा जी से अजय होने का वरदान हासिल किया। 

वरदान पाकर स्वर्ग पर अधिकार कर स्वयं को संपूर्ण लोकों का अधिपति घोषित किया।
खुद को अमर अजय जानकर धरती पर अत्याचार बढ़ाया और हाहाकार मचाया।

उसे ना कोई घर में, ना बाहर, न अस्त्र से, न शास्त्र से, न दिन में, ना रात में, 
न मनुष्य से, ना पशु से, न धरती में, न आकाश में कोई मार सकता था।

पुत्र प्रहलाद की भक्ति से भयभीत होकर उसे मृत्युलोक पहुंचाने का प्रयास किया।
भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा के लिए खंभे को फाड़कर नरसिंह अवतार लिया।

नरसिंह ना पशु थे, ना मानव, चौखट पर अपने नाखूनों से उसका सीन फाड़ दिया।
क्रोधित नरसिंह भगवान का क्रोध शांत करने का सभी लोगों ने बहुत प्रयास किया।

ब्रह्मा ने विष्णु, विष्णु ने शंकर जी से नरसिंह भगवान का क्रोध शांत करने का आग्रह किया।
भगवान शिव ने विकराल ऋषभ का रूप धर नरसिंह को पूछ में लपेट पाताल ले गए।

जब शक्तिहीन होकर नरसिंह भगवान ने ऋषभ रूप में शिव को पहचाना तब क्रोध शांत हुआ।
ब्रह्मा जी और विष्णु जी के आग्रह पर ऋषभ स्वरूप भगवान शंकर ने उन्हें मुक्त किया।
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