Nojoto: Largest Storytelling Platform

मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे तू मेरे सामने होकर

मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे
 तू मेरे सामने होकर भी दिखती नहीं है

 वैसे तो खोज लू लाखों की भीड़ में तुझे
पर तू जाना भीड़ में कभी रहती नहीं है!

 मुद्दतों बाद फ़िर से हुआ है इश्क़ मुझे
 वरना मेरी ज़ुबा शायरों जैसी बातें करती नहीं है

 मैं परीक्षा की घड़ी में लिख रहा हूं तुझपे गज़ले
 और तू है की फुर्सत में भी याद करती नहीं है !
                                
~  मिज़ाज इलाहाबादी ✍️

©Mizaj Allahabadi मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे
 तू मेरे सामने होकर भी दिखती नहीं है

 वैसे तो खोज लू लाखों की भीड़ में तुझे
पर तू जाना भीड़ में कभी रहती नहीं है !

 मुद्दतों बाद फ़िर से हुआ है इश्क़ मुझे
 वरना मेरी ज़ुबा शायरों जैसी बातें करती नहीं है
मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे
 तू मेरे सामने होकर भी दिखती नहीं है

 वैसे तो खोज लू लाखों की भीड़ में तुझे
पर तू जाना भीड़ में कभी रहती नहीं है!

 मुद्दतों बाद फ़िर से हुआ है इश्क़ मुझे
 वरना मेरी ज़ुबा शायरों जैसी बातें करती नहीं है

 मैं परीक्षा की घड़ी में लिख रहा हूं तुझपे गज़ले
 और तू है की फुर्सत में भी याद करती नहीं है !
                                
~  मिज़ाज इलाहाबादी ✍️

©Mizaj Allahabadi मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे
 तू मेरे सामने होकर भी दिखती नहीं है

 वैसे तो खोज लू लाखों की भीड़ में तुझे
पर तू जाना भीड़ में कभी रहती नहीं है !

 मुद्दतों बाद फ़िर से हुआ है इश्क़ मुझे
 वरना मेरी ज़ुबा शायरों जैसी बातें करती नहीं है