मुश्किल तो था ही बाहर आना... इतनी जान जाने के बाद अपने आप को समेट पाना... कोशिश ये भी करते रहना की बाकियों की जान है बचाना... उन सब को भी तो डर था अपनी जान जाने का, पर फिर भी डटे रहे क्यों की फर्ज था जान बचाने का, जब अपनों की सांसे थी टूटी, परिवारों की जैसे उनसे आस भी रूठी , पर फिर भी इन सफेद वर्दी वालों की खुद से पूरी कोशिश करते रहने की विश्वास ना छूटी, परिवार को भूल गए वो सब, 24 घंटे दिन के गाड़ी चलाकर, लोगों को घर से अस्पताल,अस्पताल से घर पहुंचाकर, पीपीई कीट पहनकर कम पानी और खाना खाकर, निभाते रहे फर्ज जान बचाने का खुद के जान की परवाह भूलाकर, कितनो के अपने उन्हें अंत में लेने ना आए, उन्हें मुखाग्नि तक देने ना आए, अस्पताल के कर्मी ने तब इंसानियत का फर्ज भी निभाया, इंसानियत से बड़ा कोई धर्म कोई नाता नहीं, ये कही एक मुस्लिम भाई ने अग्नि देकर, तो कही पंडित ने नवाज में सर झुकाकर था दिखाया, सबने मिलकर कोशिश की तो एक दिन ऐसा भी आया , जब फिर से ठीक होने लगा सब और सब को अपने अपने काम और पढ़ाई पर लौट जाने का सुकून मिल पाया, इस महामारी ने बहुत कुछ छीना, पर हमें कितना कुछ सिखाया, अपनों की अहमियत का जैसे एक पाठ पढ़ाया, शारीरिक दूरी थी जरूरी तो हमने जब वो निभाया, तो दिल से जुड़े लोग वीडियो कॉल से, और ना जाने कितने पुराने रिश्तों को ठीक करने का उनमें नयापन भरने का एक मौका मिल पाया.... मुश्किल तो था... #mywritingmywords #salutetocovidwarriors #mywritingmythoughts #मुश्किलतोथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi