।। ओ३म् ।। परी॒मे गाम॑नेषत॒ पर्य॒ग्निम॑हृषत। दे॒वेष्व॑क्रत॒ श्रवः॒ कऽ इ॒माँ२ऽ आ द॑धर्षति ॥ पद पाठ परि॑। इ॒मे। गाम्। अ॒ने॒ष॒त॒। परि॑। अ॒ग्निम्। अ॒हृ॒ष॒त॒ ॥ दे॒वेषु॑। अ॒क्र॒त॒। श्रवः॑। कः। इ॒मान्। आ। द॒ध॒र्ष॒ति॒ ॥ जो राजपुरुष पृथिवी के समान धीर, अग्नि के तुल्य तेजस्वी, अन्न के समान अवस्थावर्द्धक होते हुए धर्म से प्रजा की रक्षा करते हैं, वे अतुल राजलक्ष्मी को पाते हैं ॥ Those men who protect the people from religion by being patient like Prithivi, glittering like fire, stagnant like food, find Atul Rajalakshmi. ( यजुर्वेद ३५.१८ ) #यजुर्वेद #वेद #मंत्र