ये सोशल मीडिया ने हमें जोड़ा फिर प्यार हुआ बिना देखे बस अल्फाजों से अहसास बया हुए उसनें मुझे समझा मने उसे ।पर हमारी क़िस्मत में शायद वो मिलन नहीं था। घर परिवार की ख़ातिर हमें एक दूसरे से जुदा होना पड़ा।जो किस्मे उसके साथ लेना चाहती थीं । वो किसी ओर के साथ लेनी पड़ी। पर इन सब के दौरान आखरी ख़्वाहिश हैं उसको देखना उसके गले लगना वो सारी बातें कहना जो उसके बिना मैंने कसे गुजारे है वो पल वो उसकी यादों के फ़साने। सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है । आज का शीर्षक है : डर लगता है #आखरी_ख्वाहिश