हैप्पी बड्डे गाँधी ब्रो कोई कहता ऐसे हो कोई कहता वैसे हो ये सब छोड़ो,और बताओ स्वर्गलोक में कैसे हो "सब जन एक बराबर" सुनकर भारत का दिल ऊब गया है सत्य,अहिंसा वाला बिस्किट गरम चाय में डूब गया है जहाँ-जहाँ तुम रहते,उजड़े वे सब अड्डे गाँधी ब्रो दो का दूना पाँच रहे हैं अनपढ़ कॉपी जाँच रहे हैं जिनने तुम को पढ़ा नहीं है तुमको गाली बाँच रहे हैं ख़ुद कर के ख़ुद झेल रहे हैं इक-दूजे को पेल रहे हैं डूड ! तुम्हारे तीनों बंदर छुपम-छुपाई खेल रहे हैं दिन भर ज्ञान बाँटते रहते महा कुबड्डे , गाँधी ब्रो हैप्पी बड्डे गाँधी ब्रो आशू #गांधी_जयंती #कविता #गांधी #2अक्टूबर #भाव #नोजोतोसाहित्य