सुना है आजकल सूखे शजर पे परिंदों का कारवाँ है ये दिल है कि दफ्तर_ ए _गुल से मुँह मोड़े खड़ा है ।।। याद करने के लिए शुक्रिया दोस्तों 🙏🙏🙏😊 शायरी लिखने की चाहत यहाँ खींच ही लाती है 🤗🤗 कितना भी रोकू दिल को , ये रोके से ना रुक पाती है ये लफ्ज़ ये मुशायरा जिन्दगी का हिस्सा है दूर रहकर भी पास होने का एहसास कराती है ।। 😊