ना जाने कितने गम और थे गीले कि सारी बंदिशे तोड़ चले सब मयखाने की ओर चले........... इसमें भी देसी और अंग्रेजी की भारी भरकम होड़ चले सब मयखाने की ओर चले........... जिनके चल रहे थे मौन व्रत उदासी में अब अब घितपिट अंग्रेजी ताबड़तोड़ चले सब मयखाने की ओर चले........... वर्षों बाद खुली हो जैसे पीने वालों की मधुशाला अडोस पड़ोस अनजानों से भी रिश्ते जोड़ चले सब मयखाने की ओर चले............ थी ना जाने कब से अनबन(कुछ लोगों की) वो मामला भी पीछे छोड़ चले सब मयखाने की ओर चले.......... पुरुषों से आगे महिलाओं की भागीदारी देश की आर्थिक विकास बढ़ाने कोशिश पुरजोर चले सब मयखाने की ओर चले.......…. #मदिरा त्यौहार की ढेरों शुभकामनाएं आप सभी को#👻👻🙈🙈🤣🤣