कल्पना "जहाँ न पहुंचे रवि, वहाँ पहुंचे कवी" हां! सूरज की किरण का प्रकाश भी जिस स्थान पर नहीं जा सकता, वहाँ कवी जा सकता है। अर्थात् कवी की कल्पनाशक्ति ही ऐसी होती है। आसमान हो या पाताल, धरा हो या भूचाल, संस्कृति हो या संस्कार, बाग़ हो या बागबान। या हो कोई वस्तु प्राणी या इंसान, सभी तक कवी की कल्पना पहुँच ही जाती है। #कल्पना