बिखर गई माला! ज्यों टूटा, उसे पिरोने वाला धागा, कितना खोजा, किन्तु ना मिला, उसका मोती एक अभागा।। एक सौ आठ, नाम श्री प्रभु के, अब ये माला, जप न सकेगी, 'एक की कीमत', सबपे भारी, ये माला, अब नहीं चलेगी।। मनको तुम, अभिमान न पालो, तुमको बांधे, साथ थी डोरी, छिटक-2 कर बिखर गए तुम, ज्यों टूटा, समरसता धागा।। भारत माता, धर्म सनातन, यही सूत्र है, हमें पिरोये, कीमत सबकी "शून्य" लगेगी, रक्षा ना की, या चटकाया।। ©Tara Chandra Kandpal #सन्देश