पहली वाली वो बात कहाँ एक रात में ढेरों बात ऐसे परिवारों की सौगात कहाँ,बड़े छोटे के कायदो की वो शर्म कहाँ पहली वाली वो बात कहाँ।। कल तलक मिल कर करते थे जिसमें होती थी प्यार की उपज ,खेतो-खलिहानो हो परिवारों की चाह ऐसे सोंधी रिश्तो की खुशबू कहाँ पहली वाली वो बात कहाँ एक-एक करके हो रहे है अरमानो का धुँवा होती थी कभी चार दिशाओ की एक किरण ,प्रेम,लगन,मोह अब रिश्तो में वो चाहत कहाँ।। पहली वाली वो बात कहाँ #familylover_poem_ownlines