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पापा जी हमेशा की तरह बरामदे में बैठे थे। बगल में र

पापा जी हमेशा की तरह बरामदे में बैठे थे। बगल में रेडियो रखा था। तभी बाहर से बाइक स्टार्ट होने की आवाज़ आयी।

"बस! यही हैं आजकल के लड़के! घर में एक कदम टिकता नहीं, मुँह उठाये और चल दिये। घर है कि धर्मशाला!"

पापा गरजते हुए बोले। मम्मी वहीं बैठीं अचार बनाने की तैयारियों में जुटीं थीं। कुछ ना बोलीं।

"ना पढ़ना है ना लिखना है। और ना ही हमारी कोई बात सुनना है। अरे हमारा भी जमाना था। लेकिन मजाल है जो बाबूजी के आगे इस तरह..."

मम्मी अभी भी चुप थीं। पापा बोलते रहे।

"सारा कसूर तुम्हारा है। तुम ही बिगाड़ी हो, मुन्ना मुन्ना करके। जब देखो तब उसको बाहर भेज देती हो। पेट्रोल तो तुम्हारा बाप भरेगा ना..?"

अपने बाबूजी का नाम सुनकर मम्मी तमतमा गयीं।

"ई बात अपनी सरकार से पूछो, हमरे बाबूजी का नाम ना ल्यो। पैट्रोल, सलिंडर का दाम तो उही बढ़ाये हैं ना जेको तुम रात दिन भजे हो। और बंद करो ई गाजा-बाजा। बहुत हुई मन की बात।"
 #गोरखपुर_से
#मन_की_बात
#महँगाई
#YQbaba #YQdidi
पापा जी हमेशा की तरह बरामदे में बैठे थे। बगल में रेडियो रखा था। तभी बाहर से बाइक स्टार्ट होने की आवाज़ आयी।

"बस! यही हैं आजकल के लड़के! घर में एक कदम टिकता नहीं, मुँह उठाये और चल दिये। घर है कि धर्मशाला!"

पापा गरजते हुए बोले। मम्मी वहीं बैठीं अचार बनाने की तैयारियों में जुटीं थीं। कुछ ना बोलीं।

"ना पढ़ना है ना लिखना है। और ना ही हमारी कोई बात सुनना है। अरे हमारा भी जमाना था। लेकिन मजाल है जो बाबूजी के आगे इस तरह..."

मम्मी अभी भी चुप थीं। पापा बोलते रहे।

"सारा कसूर तुम्हारा है। तुम ही बिगाड़ी हो, मुन्ना मुन्ना करके। जब देखो तब उसको बाहर भेज देती हो। पेट्रोल तो तुम्हारा बाप भरेगा ना..?"

अपने बाबूजी का नाम सुनकर मम्मी तमतमा गयीं।

"ई बात अपनी सरकार से पूछो, हमरे बाबूजी का नाम ना ल्यो। पैट्रोल, सलिंडर का दाम तो उही बढ़ाये हैं ना जेको तुम रात दिन भजे हो। और बंद करो ई गाजा-बाजा। बहुत हुई मन की बात।"
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