दर्द भी तुम दवा भी तुम। हर मर्ज़ का इलाज़ भी तुम। दिल की धड़कन भी तुम हर सांसों में तुम। मेरे रूह में तुम मेरे जिस्म के खुशबू में तुम। राज़–ए–वफ़ा भी तुम दिल का इकरार भी तुम। मेरा इश्क़ भी तुम ज़िन्दगी का जुनून भी तुम। कभी रेगिस्तान का सूखा बेरंग हो तुम। तो कभी सावन की हरियाली बसंत बहार हो तुम। हर चोट का कारण का तुम उस पर लगाते मरहम भी तुम। हर जगह मौजूद तुम जीने की वजह भी तुम। ♥️ Challenge-901 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।