काशी की गलियों से हो, मणिकर्णिका पहुंची, उसकी निःष्प्राण देह, जलती चिता की, चिताग्नियों के मध्य, उसे स्मरण कराती है, सप्तपदी की, पावन वेदिका, और..उसके, चारों ओर घूमकर, लिए सातों वचन, व..समर्पण की गांठों मे, बँधा उसका जीवन, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #मन_का_मसान काशी की गलियों से हो, मणिकर्णिका पहुंची, उसकी निःष्प्राण देह, जलती चिता की,