तू लगा सकता है मुझपे इल्ज़ाम बहुत से क्योंकि इल्जाम लगाने का बहाना तेरे पास। तू पीयेगा भी तो बदनाम नही होगा क्योंकि इक सलामत मयखाना है तेरे पास। तुझसे नहीं पूंछेगा कोई पहचान तेरी क्योंकि इक शोहरतों का घराना है तेरे पास। वो सख्स़ सुनता है कि तू बुरा बहुत है फिर भी उस सख्स़ को आना है तेरे पास। हसीन चेहरे, खूबसूरत मुस्कुराहटें, खुश्बू हैं हर तरफ फिर भी आखिर क्यूं ग़मगीन जमाना है तेरे पास। इक तू है कि सजता सवरता है नही इक को ज़िद है उसे खुद को सजाना है तेरे पास। ©नितीश निसार #तेरे_पास