लहलहाती फसलों वाले खेत अब सिर्फ सनीमा में होते हैं, असलियत तो ये है की हम खुद ही एक-एक दाने को रोते हैं. अब कहाँ रास आता उन्हें बगिया का टमाटर, वो धनिया, वो भिंडी और वो ताजे ताजे मटर. आधुनिक युग ने भुला दिया मुझे मै बस एक छूटे हुए सुर की तान हूँ, बचा सके तो बचा ले मुझे ए राष्ट्रभक्त, मैं किसान हूँ ! #kisaan mai bhi kisan hoo