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ये कैसी बेताबी, कैसी बेसब्री, उगलीयों पर खड़े होक

 ये कैसी बेताबी,
कैसी बेसब्री,
उगलीयों पर खड़े होकर,
देख रही हो‌ दूर।
शायद हो रहा‌ इंतजार,
अपने महिवाल‌ का।
अभी वो आएगा,
कच्चे‌‌ गढ़े पर,
शायद लग जाए पार।
भींच लें बाहों‌ में,
मिटा दे,
लंबा विछोड़।

©Anil Kumar Jaswal
  #विछोड़ा  Sudha Tripathi Sana Binte Zamaan Praveen Storyteller संजय सिंह भदौरिया kanchan Yadav