किसी को सुकूँ भरी ठन्डक, किसी को तपती दोपहर लगते हैं। कुछ हमदर्द ऐसे भी हैं मेरे, जिन्हें हम जहर लगते हैं । #शून्य #सुकूँ #तपिश #दोपहर #जहर #मेरेएहसास #मनकीबात #कुछ_अनकही_बातें ✍🏼 कुछ अनकहा सा...