हमसे काहे पूछ रहे ये रोग काहे पाला है हमहि तुमका बोल रहे हमरा प्यार बहुत निराला है काहे हमसे लड़त झगडत हो दुनिया वालो हम पगला गए है इ पागल अब चुप रहने वाला है नवनीत निर्मल #पागलपन कोशिश पूरी कविता करने की