जीवन माना बड़े हो गये हैँ आप पर बचपना मत खोईये यही असली ठाठ है जब मर्जी हँसिये जब मर्जी रोइये माना ज़िन्दगी पाने को बहुत लड़े आप अब ज़िन्दगी को बनाने मे ज़िन्दगी मत खोईये यही असली ठाठ है जब मर्जी हँसिये जब मर्जी रोइये जिस गद्दे को कमाने भागते रहे पूरा दिन अब उसी पे नींद की दवा खाके तो रात मे मत सोइये जब मर्जी हँसिये जब मर्जी रोइये आप क्या जाने क्या क्या किया है अपनो ने आपको हँसाने को कम से कम उनके लिये तो परेशानी के बीज मत बोइये यही असली ठाठ है जब मर्जी हँसिये जब मर्जी रोइये केवल नाम के लिये ही नहीं है ज़िन्दगी असलियत मे ज़िन्दा तो होइये यही असली ठाठ है जब मर्जी हँसिये जब मर्जी रोइये ©शिवम मिश्र