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दिसंबर का महीना एक बिंदी को आज उसने माथे पर लगाया

दिसंबर का महीना  एक बिंदी को आज उसने माथे पर लगाया है 
लगता नहीं आज उसने कल को दोहराया है 
हाथों को कलम की जगह उसने कंगन पहनाया है 
फीकी सी शुरुआत में रंग भरने की जद्दजहद में
 उसने खुद को बिसराया है 
फर्क है जिंदगी की सच्चाई और सोच में ...........
दुनिया ने हर कदम पर उसको एहसास दिलाया है 
जाने किस उम्मीद में उसने खुद को इतना सजाया है । #invoice
दिसंबर का महीना  एक बिंदी को आज उसने माथे पर लगाया है 
लगता नहीं आज उसने कल को दोहराया है 
हाथों को कलम की जगह उसने कंगन पहनाया है 
फीकी सी शुरुआत में रंग भरने की जद्दजहद में
 उसने खुद को बिसराया है 
फर्क है जिंदगी की सच्चाई और सोच में ...........
दुनिया ने हर कदम पर उसको एहसास दिलाया है 
जाने किस उम्मीद में उसने खुद को इतना सजाया है । #invoice
shubhanjali7928

Shubhanjali

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