दिसंबर का महीना एक बिंदी को आज उसने माथे पर लगाया है लगता नहीं आज उसने कल को दोहराया है हाथों को कलम की जगह उसने कंगन पहनाया है फीकी सी शुरुआत में रंग भरने की जद्दजहद में उसने खुद को बिसराया है फर्क है जिंदगी की सच्चाई और सोच में ........... दुनिया ने हर कदम पर उसको एहसास दिलाया है जाने किस उम्मीद में उसने खुद को इतना सजाया है । #invoice