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चलो मैं तो फिर चला..ज़िंदादिल प्यार ढूंढ़ता हूं..

चलो मैं तो फिर चला..ज़िंदादिल प्यार ढूंढ़ता हूं..
आंखों को जो सुकून दे..सूरत कोई यार ढूंढ़ता हूं..
आज तखिए तले रख दूंगा अपने सारे टूटे हौसलों की पोटली..
दिन नया है..जी हां! मैं फिर से अपना दिलदार ढूंढ़ता हूं।।

लबों पर जिसकी शहद की मिठास..ऐसा शोख अनार ढूंढ़ता हूं..
नाक जैसे शमशीर सिकंदर की..ऐसा तेज धार ढूंढ़ता हूं..
जुल्फों में हो घटाएं सावन की ..गर्दन सुराही की काया..
नशे में खो जाऊं यूं पलकों की मय में दिलकश ऐसा संसार ढूंढ़ता हूं..

कमर ऐसी हो कि लगे नक्काशी एलोरा की..ऐसा शिल्पकार ढूंढ़ता हूं..
हाथों में खुशियां समेटे..पैरों में पाजेब की थिरकन..रूह का इख्तियार ढूंढ़ता हूं..
शायर नहीं हूं मुकम्मल ..ना लिखने के तौर तरीके पता है मुझे..
शायरा जो मेहबूब बने ज़िंदादिल की..बेशक मैं भी ज़िंदादिल प्यार ढूंढ़ता हूं शायरा का प्यार ढूंढ़ता हूं
चलो मैं तो फिर चला..ज़िंदादिल प्यार ढूंढ़ता हूं..
आंखों को जो सुकून दे..सूरत कोई यार ढूंढ़ता हूं..
आज तखिए तले रख दूंगा अपने सारे टूटे हौसलों की पोटली..
दिन नया है..जी हां! मैं फिर से अपना दिलदार ढूंढ़ता हूं।।

लबों पर जिसकी शहद की मिठास..ऐसा शोख अनार ढूंढ़ता हूं..
नाक जैसे शमशीर सिकंदर की..ऐसा तेज धार ढूंढ़ता हूं..
जुल्फों में हो घटाएं सावन की ..गर्दन सुराही की काया..
नशे में खो जाऊं यूं पलकों की मय में दिलकश ऐसा संसार ढूंढ़ता हूं..

कमर ऐसी हो कि लगे नक्काशी एलोरा की..ऐसा शिल्पकार ढूंढ़ता हूं..
हाथों में खुशियां समेटे..पैरों में पाजेब की थिरकन..रूह का इख्तियार ढूंढ़ता हूं..
शायर नहीं हूं मुकम्मल ..ना लिखने के तौर तरीके पता है मुझे..
शायरा जो मेहबूब बने ज़िंदादिल की..बेशक मैं भी ज़िंदादिल प्यार ढूंढ़ता हूं शायरा का प्यार ढूंढ़ता हूं