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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर एक प्रेम कविता इस

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर एक प्रेम कविता इस तरह भी-

ओ राधेय ! 

ले लो आलू प्याज टमाटर...! 
चिल्लाते हुये 
जब गुजरता है सब्जीवाला 
तो उसकी आवाज से ज्यादा फैलती है 
हरी धनिया की खुशबू !

इस हरी धनिया को कितना ही मसलो 
कितना ही कुचलो 
ये और और महकती है 
और चटनी में मिलाये जाने वाले 
आम लहसुन प्याज टमाटर तो छोड़िये 
कुचलने वाले शिलपट्टे को भी 
अपने रंग में रंग लेती है ...

ओ राधेय !
क्या ऐसा ही था तेरा प्रेम ...!!!!!

@धर्मेन्द्र तिजोरी वाले "आजाद"
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर एक प्रेम कविता इस तरह भी-

ओ राधेय ! 

ले लो आलू प्याज टमाटर...! 
चिल्लाते हुये 
जब गुजरता है सब्जीवाला 
तो उसकी आवाज से ज्यादा फैलती है 
हरी धनिया की खुशबू !

इस हरी धनिया को कितना ही मसलो 
कितना ही कुचलो 
ये और और महकती है 
और चटनी में मिलाये जाने वाले 
आम लहसुन प्याज टमाटर तो छोड़िये 
कुचलने वाले शिलपट्टे को भी 
अपने रंग में रंग लेती है ...

ओ राधेय !
क्या ऐसा ही था तेरा प्रेम ...!!!!!

@धर्मेन्द्र तिजोरी वाले "आजाद"