मिली न मुझको वो मंजर गया था मै जैसे तैसे तेज़ लगा था मुझे खंजर जिंदा रहा मै न जाने कैसे तड़पन रही उस वक्त की मेरी काट रहा कोई सास की पतंग जैसे बस एक घड़ी ठहरा था मैं सांसों से कह रहा था मैं की आओ मुझ में फिर से बस जाओ कुछ जिंदगी पर तरस खाओ कुछ और नहीं कहा मैने खुद की भी नही सुना मैने थोड़ा और दूर तक तो सफर पाऊं कुछ रह गया है मेरा उसे एक बार जरा सा देख आऊ तेजी से धड़कन दौड़ रहा था रूह को अपनी मरोड़ रहा था एक चमक आई मुझ तक कोई न सूझी सूझ एक तक एक मेरा खजाना रह गया है उस ओर मेरा दीवाना रह गया है रुको इल्तला कर आऊ उसे बीन बताए जाऊ कैसे दो पल भला क्या तुम रुकोगे समेट लूं सब पोटली दुखों के नहीं तुम्हें जाना होगा मिट्टी से अलग रहना होगा चलो ले चलूं तुम्हे जहां माया भी तुम्हे कदम चूमें भरा सुकून दिल न दिमाक न बुझेगी आगाज न लगाएगी आग रूखी सूखी थाली होगी धरती के तरह भरी भीड़ में भी न खाली होगी चलो मेरे संग उस दुनिया में आए हो जिस दुनिया से। ©rashmi98 #SeptemberCreator #Ajadkalakar #kavita #kavita #hindiurdupoetry #Hindi #HindiPoem #NojotoEnglishPoetry