212 212 212 दर्द भी तो कोई बाँटता वो मेरा प्यार पहचानता ! रात है रात का ग़म नहीं रोशनी को ज़रा जानता ! ज़िस्म गर क़ैद है तो क्या रूह बंधन नहीं मानता ! उल्फ़तों की ज़मीं बँट रही नफ़रतों का गगन तानता ! ज़िन्दगी साँस की आस में दिल मेरा धड़कने माँगता ! लूट कर ले गया जान भी दिल उसी को रहा चाहता ! दर्द पीता रहा आजतक दर्द से है मेरा राबता ! ©malay_28 #राबता