....दिन वो भी हुआ करते थे, दोस्त जब हिसाबो के कच्चे हुआ करते थे, अठन्नी-अठन्नी मे बिका करती थी खुशियाँ, और किताबो मे गुलाब मिला करते थे दिन वो भी हुआ करते थे..... -----रामेश्वर मिश्र