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घर की याद ❤️ बहुत लंबा था घर का सफर  तो घर से दूर

घर की याद ❤️

बहुत लंबा था घर का सफर 
तो घर से दूर कहीं में रुक गया
करने सपनों को पूरा ,
घर जाने का सपना कहीं अधूरा ही रह गया! 
अपनों से जुदा होने का बस थोड़ा गम जरूर था 
पर सपनों को पूरा करने के लिए जुदा होना पड़ेगा ये गम किसको मंजूर था। 

आंखो में हल्की नमी थी! 
बातों में उनके बेरुखी सी थी! 
बस इसी बात का उन्हें अंदेशा ना था , 
जहाँ जा रहे हैं,खुदा ने वहां भी तो अच्छा इंतजाम शायद करके रखा ही होगा ।

अब आकर एक नई जगह में 
बस गए हैं सारे इस नए जहां में ।

अब जब बारी घर जाने की आई तो,
सबको भी तो ये मालूम था कि -
जब यहां से जाना होगा शिकायतों का बस्ता भर के 
घर में एक-एक को करके सुनना होगा! 
ये कमी है उस नए जगह में ये भी घरवालों को भी तो बताना होगा ।
अब यकीन मानो उनकी आंखो में अब नमी नहीं, लेकिन आंखो में खुशियां थी 
बातों में जो पहले बेरुखी थी,अब बातों में ही ताज़गी है 

क्योंकि घर जाने का सफर सब उनको याद था,
क्या करना है घर जाकर ये भी उन्होंने सब ऐसे से सोच कर रखा था! 
बस घर का सफर अब लग उन्हें बहुत छोटा रहा था 
क्योंकि घर जाने की खुशी से ही उनका सब्र अब मन ही मन टूटता जा रहा था । 


© निकेश #OpenPoetry 
#with_Love_from_day_scholar_to_hosteler
#Ghar_ki_Yaad
 Savita Veer Prita चतुर्वेदी 📕🙏 Rimple mahal Ritika Gupta deba shah
घर की याद ❤️

बहुत लंबा था घर का सफर 
तो घर से दूर कहीं में रुक गया
करने सपनों को पूरा ,
घर जाने का सपना कहीं अधूरा ही रह गया! 
अपनों से जुदा होने का बस थोड़ा गम जरूर था 
पर सपनों को पूरा करने के लिए जुदा होना पड़ेगा ये गम किसको मंजूर था। 

आंखो में हल्की नमी थी! 
बातों में उनके बेरुखी सी थी! 
बस इसी बात का उन्हें अंदेशा ना था , 
जहाँ जा रहे हैं,खुदा ने वहां भी तो अच्छा इंतजाम शायद करके रखा ही होगा ।

अब आकर एक नई जगह में 
बस गए हैं सारे इस नए जहां में ।

अब जब बारी घर जाने की आई तो,
सबको भी तो ये मालूम था कि -
जब यहां से जाना होगा शिकायतों का बस्ता भर के 
घर में एक-एक को करके सुनना होगा! 
ये कमी है उस नए जगह में ये भी घरवालों को भी तो बताना होगा ।
अब यकीन मानो उनकी आंखो में अब नमी नहीं, लेकिन आंखो में खुशियां थी 
बातों में जो पहले बेरुखी थी,अब बातों में ही ताज़गी है 

क्योंकि घर जाने का सफर सब उनको याद था,
क्या करना है घर जाकर ये भी उन्होंने सब ऐसे से सोच कर रखा था! 
बस घर का सफर अब लग उन्हें बहुत छोटा रहा था 
क्योंकि घर जाने की खुशी से ही उनका सब्र अब मन ही मन टूटता जा रहा था । 


© निकेश #OpenPoetry 
#with_Love_from_day_scholar_to_hosteler
#Ghar_ki_Yaad
 Savita Veer Prita चतुर्वेदी 📕🙏 Rimple mahal Ritika Gupta deba shah
nikesh2656236307802

Nikesh

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