आस लगाये बैठे हैं अकिंचन आन पड़ी है ये, विपदा भारी रघुवीर की पीर हरे हो आप आप ही विपदा हरो हमारी । रोग शोक सब घेरे खड़े है, इस बिगड़ी को आप संवारो बेगि हरो कष्ट हनुमान महाप्रभु, संजीवनी लेकर पधारो करो कृपा मनु जन पर अब, हरो सब पाप संकट हमारो सब ही जानत हैं जग में प्रभु,संकट मोचन नाम तिहारो । सियावर राम चंद्र जी की जय, रामभक्त हनुमान जी की जय लोकेंद्र की कलम से ✍️ #लोकेंद्र की कलम से