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सावन **************************************

       सावन
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पिया तुम आना सावन में!
मेघ बरस कर मुझको, जब तरबतर कर जायें
इस बंजर धरती में जब , पानी भर कर जायें
भर लेना मुझको पी, तुम अपने आलिंगन में
पिया तुम आना सावन में!
कैसे केसे काटी  मैने ,तुम बिन  काली रातें
जागी जागी आंखों से, की दीवारों से बातें
अब नही सहा जाता, आग लगी तन मन में
पिया तुम आना सावन में!
जीवन की सुंदर बगिया ,मे फूल नही है कोई
रुठी गयी है बहारें मुझसे ,मै रात रात भर रोई
तुम आकर ही फूल खिला ,दो मेरे इस आंगन में
पिया तुम आना सावन में
तुम तो पहले साजन मेरे, दिल को पढ़ लेते थे
मुझे मनाने के सारे किस्से, तुम तो गढ़ लेते थे
कौन सी मजबूरी साजन,तुम किस उलझन में
पिया तुम.आना सावन में!

संजय श्रीवास्तव






 सावन
       सावन
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पिया तुम आना सावन में!
मेघ बरस कर मुझको, जब तरबतर कर जायें
इस बंजर धरती में जब , पानी भर कर जायें
भर लेना मुझको पी, तुम अपने आलिंगन में
पिया तुम आना सावन में!
कैसे केसे काटी  मैने ,तुम बिन  काली रातें
जागी जागी आंखों से, की दीवारों से बातें
अब नही सहा जाता, आग लगी तन मन में
पिया तुम आना सावन में!
जीवन की सुंदर बगिया ,मे फूल नही है कोई
रुठी गयी है बहारें मुझसे ,मै रात रात भर रोई
तुम आकर ही फूल खिला ,दो मेरे इस आंगन में
पिया तुम आना सावन में
तुम तो पहले साजन मेरे, दिल को पढ़ लेते थे
मुझे मनाने के सारे किस्से, तुम तो गढ़ लेते थे
कौन सी मजबूरी साजन,तुम किस उलझन में
पिया तुम.आना सावन में!

संजय श्रीवास्तव






 सावन