जब मैं रात को डरता हूं उनकी आंचल में लिपटता हूं जब सिसकियां मैं भरता हूं उनकी साड़ी से आंखें पोछा करता हूं जब बचपन में मैं गलती करता दौड़ के गोद में उठाती है वो कुछ तोड़ देता हूं जब भी मैं खुद की गलती बताती है वो जब ईश्वर अपना छाया बनाया किरदार जैसे एक मां का अपनाया ©Deependra jha #loveyoumumma #MothersDay2021