हम औरत उसी को समझते हैं जो हमारे घर की हो बाकी हमारे लिये कोई औरत नहीँ होती बस गोश्त की दुकान होती हैं ओर हम इस दुकान के बाहर खड़े कुत्तो की तरह होते है जिनकी हवस जरा नजरे हमेशा गोश्त पर टिकी रहती हैं। -सहादत हसन मंटो #जन्मदिनपर #मंटो#walkingalone